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कुछ दिन पहले अपने दोस्तों से पुछा था ग्लोबलाइजेशन क्या होता हैं ? कुछ ने कहा अपने कल्चर को दूसरों से इंट्रोडस करवाना और कुछ ने कहा दूसरे लोगो के कल्चर को अडॉप्ट करना!
पिछले कुछ सालों से ट्रेवल करने के कारन एक चीज़ जो समझ आ रही हैं की दूसरी जगह से आये लोगों से इन्वेस्टमेंट तो सब करवाना चाहते हैं but उन्हें फैसिलिटी नहीं देना चाहते.
बहुत छोटी सी example हैं मैं कहीं भी शॉपिंग के लिए जाता हूँ अगर मैं जंक फूफ खरीदता हूँ, चाहे वो स्टोर हो चाहे वो छोटी शॉप्स, बहुत खुश हो कर देते हैं लेकिन अगर मैं आर्गेनिक फ़ूड खरीदता हूँ तो उनकी जान ऐसे निकलती हैं जैसे वो किसी अजनबी को जीवन दान दे रहे हो.
घर कजरीदने जाऊ इन्वेस्टमेंट पर्पस से लो तो ख़ुशी से देंगे अगर move on करने की बात करो तो तकलीफ होती हैं
अतिथि देवो भव:
एक ज़माने में ये हमारा quote था पर अब paise देकर भी वो इज़्ज़त नहीं मिल पा रही.
क्या फायदा फिर ऐसी globalization का, लोग कहते हैं जो इन छोटो छोटी बातों से ऊपर उठ जाये वो ही कामयाब होते हैं but कामयाब होने के लोए इन बुराइयों को नज़रअंदाज़ करना कहाँ तक सही हैं?
ग्लोबलाइजेशन ने दिया क्या हैं?
- youngsters में जॉब्स को लेकर insecurity
- common पीपल में अपने कल्चर डिस्ट्रॉय होने की insecurity
शायद मैं ज्यादा सोच रहा हूँ , और हो सकता हैं ये चीज़ें अब जयादा बढ़ गयी हैं पर ये ही छोटी छोटी बातें हैं जो हमारी सोसाइटी में नेगेटिविटी बुरी तरह से फैला रही हैं. और अंदर ही अंदर इंसानियत को खोखला कर रही हैं.
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